2047 तक भारत की वर्कफोर्स पर गंभीर असर डालेगा डायबिटीज: डॉ. जितेंद्र सिंह

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Minister Dr Jitendra Singh

हैदराबाद: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में डायबिटीज की बढ़ती समस्या 2047 तक देश की कार्यबल को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

उन्होंने रविवार को हैदराबाद में आयोजित डायबिटीज इन प्रेग्नेंसी स्टडी ग्रुप इंडिया (DIPSI) के 19वें वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि गर्भावस्था के दौरान होने वाला डायबिटीज केवल एक चिकित्सकीय समस्या नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है, क्योंकि इसका असर माताओं और बच्चों की सेहत पर लंबे समय तक पड़ता है।

Minister Dr Jitendra Singh on Diabetes in India

डॉ. सिंह ने देश में तेजी से बढ़ रही डायबिटीज महामारी को रोकने के लिए प्रारंभिक जांच और स्क्रीनिंग की आवश्यकता पर जोर दिया, खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए। उन्होंने कहा, “गर्भकालीन डायबिटीज न केवल मां को प्रभावित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य को भी खतरे में डाल सकता है। यदि हम इसे गर्भावस्था के दौरान रोकने में सफल होते हैं, तो इस महामारी को फैलने से रोका जा सकता है। इसे रोकने के लिए सामूहिक राष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत में 15-20% गर्भवती महिलाएं गर्भकालीन डायबिटीज से प्रभावित होती हैं, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। इसलिए, इस बीमारी की रोकथाम सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता होनी चाहिए।

Indian Workforce to get affected by diabeted in 2047

डॉ. सिंह ने आगाह किया कि भारत में युवा वर्ग में टाइप 2 डायबिटीज तेजी से बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली और बढ़ती मोटापा दर है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में हृदय रोग, किडनी फेल्योर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ सकती हैं।

उन्होंने कहा, “यह केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। यदि हमारे कामकाजी उम्र के लोग डायबिटीज से जूझ रहे होंगे, तो इसका असर देश की उत्पादकता और स्वास्थ्य तंत्र पर भारी पड़ेगा।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि भारत में बचपन के मोटापे के मामले दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं, जो कम उम्र में ही टाइप 2 डायबिटीज को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकता है।

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