बॉलीवुड इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। हालांकि स्त्री 2 और छावा जैसी कुछ फ़िल्मों ने अच्छी कमाई की है, लेकिन सच्चाई यह है कि बहुत कम फ़िल्में ही हिंदी बॉक्स ऑफिस को बचाए हुए हैं। 2023 में शाहरुख खान ने दो 1,000 करोड़ कमाने वाली फ़िल्मों से इंडस्ट्री को संजीवनी दी, लेकिन 2024 में यह गति धीमी पड़ गई और 2025 तक आते-आते बॉलीवुड गहरे संकट में चला गया।

बॉलीवुड की इस हालत की वजह क्या है? मशहूर स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार जावेद अख्तर का मानना है कि इसकी सबसे बड़ी विफलता दर्शकों से जुड़ाव खो देना है।
हाल ही में बॉलीवुड के “मिस्टर परफेक्शनिस्ट” आमिर खान के साथ बातचीत में अख्तर ने इस पर चर्चा की। उन्होंने यह सवाल उठाया कि कैसे अपेक्षाकृत अज्ञात साउथ इंडियन स्टार्स हिंदी बाजार में अपनी डब की गई फ़िल्मों से 600-700 करोड़ की कमाई कर रहे हैं, जबकि हिंदी फ़िल्में अपनी पहचान खो रही हैं। उन्होंने कहा, “हमारी फ़िल्मों का दर्शकों से जुड़ाव खत्म हो चुका है। हमारी जो कुछ फ़िल्में चल भी रही हैं, वे भी साउथ की रीमेक हैं। आखिर हमारे लोग कहां गए?”

आमिर खान ने इस तर्क को नकारते हुए कहा कि यह साउथ बनाम नॉर्थ का मुद्दा नहीं है, बल्कि समस्या बॉलीवुड के खराब बिजनेस मॉडल में छुपी है।
उन्होंने पीवीआर-आईनॉक्स के “आमिर खान: सिनेमा का जादूगर” फेस्टिवल में समझाया कि बॉलीवुड ने अपनी ही मार्केटिंग रणनीति को कमजोर कर दिया है।

“हम ही एकमात्र इंडस्ट्री हैं जो लोगों से अनुरोध करती है— कृपया हमारी फ़िल्में देखें। नहीं देखेंगे तो आठ हफ्ते बाद हम इसे आपके दरवाजे तक ओटीटी पर पहुंचा देंगे। यही हमारा बिजनेस मॉडल है। पहले लोग थिएटर में फ़िल्म देखने जाते थे क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अब वे सिर्फ शौक के लिए जाते हैं। हम अपनी ही इंडस्ट्री को खत्म कर रहे हैं,” आमिर ने कहा।